शिव के 12 ज्योतिर्लिंग(12 Jyotirlinga of shiva):
शिवा हिन्दुओं के सबसे लोकप्रिय भगवानों में से एक हैं। हिन्दू संस्कृति में अनेक भगवान शामिल हैं किन्तु इनमें सबसे ऊपर तीन भगवान हैं- जिन्हे ब्रह्मा, विष्णु, महेश(शिव) के नाम से जानते हैं। भारतीय संस्कृति के अनुसार ऐसा मानना है कि ब्रह्मा जगत के रचनाकार हैं, विष्णु इस जगत के रक्षक और शिव विनाषक हैं ताकि दुनिया की फिर से रचना की जा सके।
हिन्दू मान्यताओं के अनुसार शिव मोहमाया एवं अपूर्णता को नष्ट करने का कार्य करते हैं। शिव इन शक्तियों का इस्तेमाल रचनात्मक रूप से करते हुए वह चरम सीमाओं तक पहुंच जाते हैं। शिव क्रोध और प्रेम दोनों से ही बहुत जल्दी प्रभावित होने वाले माने जाते हैं। इनके क्रोध और प्रेम को सम्हालने की कला देवी पार्वती(शिव की पत्नी) के पास है।
हिन्दू मान्यताओं और पुराणों के अनुसार हिन्दुओं का एक भाग है जो शेवियत परंपरा को मानते हैं और यह शेवियत नाम से ही जाने जाते हैं। इस भाग के प्रमुख भगवान शिव हैं।
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ज्योतिलिंग क्या है?
यह भगवान शिव का दीप्तिमान प्रतीक है। जिसे साधारण भाषा में लिंग की संज्ञा दी जाती है। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार लिंग और योनि के दिव्य ईश्वरीय मिलन से दुनिया का उद्गम(उत्पत्ति) होती है।
हिंदू धार्मिक पुस्तकों में शिव को अनेकों नामों से बुलाया गया है। जहाँ शिव ही नटराज हैं और शिव ही महाकाल, त्रिदेवों में से भगवान शंकर का हिन्दू मान्यताओं में अलग ही स्थान है। जानकारी के अनुसार देश में लगभग 64 ज्योतिलिंग है किन्तु इनमें 12 ज्योतिलिंग ऐसे हैं जिन्हे मान्यताओं के आधार पर अत्यंत महत्वपूर्ण समझा जाता है।
12 Jyotirlinga of shiva(शिव के 12 ज्योतिर्लिंग)
- सोमनाथ मंदिर गुजरात
- मल्लिकार्जुन मंदिर आंध्र प्रदेश
- महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग, मध्य प्रदेश
- ओंकारेश्वर मंदिर, मध्य प्रदेश
- वैद्यनाथ मंदिर, झारखंड
- नागेश्वल ज्योतिर्लिंग, गुजरात
- रामेश्वर, तमिलनाडु
- काशीविश्वनाथ मंदिर, वाराणसी (उत्तर प्रदेश)
- केदारनाथ, उत्तराखंड
- भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग, महाराष्ट्र
- त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग, महाराष्ट्र
- घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग, महाराष्ट्र
सोमनाथ ज्योतिर्लिंग गुजरात
यह गुजरात के सोमनाथ में स्थित है। मान्यताओं के अनुसार इसे सबसे पुराना ज्योर्तिलिंग माना जाता है। इसके पीछे ऐसी परंपरा है कि इसे चंद्रदेव सोमराज के द्वारा खुद बनाया गया था। इस मंदिर से दिल्ली सल्तनत का सम्बन्ध इतिहास में उल्लेखित है। महमूद गजनवी ने 11 वीं शताब्दी में सोमनाथ पर 16 बार आक्रमण किया। इसे कई बार लूटा गया एवं यहाँ के शिवलिंग को भी तोड़ा गया।
यह एक भव्य मंदिर है जिससे हिन्दुओं की गहरी आस्था जुड़ी हुई है। इस मंदिर के पुनर्निर्माण से यह पुनः अपनी भव्य स्थिति को बनाये रखे हुए है।
नागेश्वल ज्योतिर्लिंग, गुजरात
यह गुजरात में ही स्थित एक और ज्योर्तिलिंग है जो कि द्वारिका के पास स्थित है। शिव पुराण के अनुसार दारुकावन(Darukavana) में है। यह जंगल का प्राचीन नाम है। ऐसा कहा जाता है कि यहाँ भगवान कृष्ण रूद्र का अभिषेक किया करते थे। रूद्र भगवान शिव का ही एक और नाम है।
काशीविश्वनाथ मंदिर
यह उत्तरप्रदेश के बनारस में स्थित है। इस मंदिर को विश्वनाथ इसलिए कहा जाता है क्यों कि मान्यताओं के अनुसार शिव ब्रह्माण्ड के नियंत्रणकर्ता हैं। वह इस ब्रह्माण्ड पर राज करते हैं और इसे खत्म करने की शक्ति भी रखते हैं। यह ज्योर्तिलिंग वाराणसी में गंगा नदी के किनारे स्थित है। इसे सभी ज्योतिलिंगों में से सबसे पवित्र माना जाता है।
महाकालेश्वर ज्योर्तिलिंग
यह ज्योर्तिलिंग मध्यप्रदेश के उज्जैन शहर में स्थित है। यह मंदिर उज्जैन में शिप्रा नदी के किनारे स्थित है। यहाँ पर उपस्थित शिवलिंग दक्षिण मुखी कहलाते हैं। सभी 12 ज्योतिलिंगों में से महाकालेश्वर को स्वयम्भू माना जाता है इसका मतलब है- महाकाल स्वयं पैदा हुए हैं और यहाँ पर कोई स्थापना नहीं हुई है। मान्यता के अनुसार वह शक्ति को खुद के अंदर से जगाते हैं।
महाकाल का सम्बन्ध मृत्यु से नहीं बल्कि समय से माना जाता है। महाकाल अर्थात शिव, अनन्त हैं।
मलिकार्जुन आंध्रप्रदेश
यह आंध्रप्रदेश के श्रीशैलम में स्थित है। यहाँ की कथा के अनुसार शिव और पार्वती अपने पुत्र कार्तिके के पास रहने के लिए श्रीशैलम में रुके थे। कार्तिके ने Mount Krauncha पर अकेले रहने का प्रण लिया था। यह ज्योर्तिलिंग एशिया में फैले हुए पादल पेत्रा स्थलम 275 स्थानों में से एक है। यह शिव के भक्तों के लिए महत्वपूर्ण स्थान है।
ओंकारेश्वर मंदिर, मध्य प्रदेश
यह दूसरा ज्योर्तिलिंग है जो कि मध्यप्रदेश में है। यह नर्मदा नदी पर स्थित एक river island मंदता पर स्थित है। इस मंदिर का नाम ओंकारेश्वर इस island की बनावट के आधार पर दिया गया है। जो ओम की तरह प्रतीत होता है। यहाँ शिव के दो मंदिर हैं जिसमें एक ओंकारेश्वर, जिसका अर्थ है ॐ का स्वामी(lord of Om), तथा दूसरे को अमरेश्वर कहा जाता है जिसका अर्थ है अमर भगवान (immortal lord).
केदारनाथ ज्योर्तिलिंग
यह उत्तराखंड में स्थित है। इस जगह को लोग 2013 की बादल फटने की घटना से हमेशा याद रखते हैं। इस आपदा में 6000 लोगों की मृत्यु हुई थी। यहाँ पर आयी आपदा में लाखों रूपये की संपत्ति और उस समय चल रहे विकाशसील प्रोजेक्ट को भारी नुकसान पहुंचाया। देश में बनी केदारनाथ फिल्म इसी घटना से प्रेरित है।
केदारनाथ मंदिर, ऋषिकेश से 3583 मीटर ऊंचाई पर स्थित है और अपनी जटिल जलवायु और बर्फ के कारण यह साल में 6 महीने ही खुला रहता है। यह भी 275 पादल पेत्रा स्थलम में से एक है। इसे पांडवों के द्वारा बनाया गया था एवं इसका जीवोद्धार आदि शंकराचार्य के द्वारा किया गया।
भीमाशंकर महाराष्ट्र
महाराष्ट्र में 3 ज्योर्तिलिंग स्थित हैं। जिनमें पहला है भीमाशंकर, यह खेद तालुका के पास स्थित है। यही से भीमा नदी का उद्गम होता है। इस मंदिर को 18 वीं शताब्दी में बनाया गया था।
त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग, महाराष्ट्र
महाराष्ट्र का यह दूसरा ज्योर्तिलिंग नाशिक शहर में स्थित है। यह मंदिर ब्रह्मगिरि पहाड़ियों पर बना है। शिव पुराण के अनुसार यह मंदिर गोदावरी और गौतम ऋषि की प्रार्थना पर शिव ने यहाँ निवास करना सुनिश्चित किया था यह एक त्रिमुखी ज्योर्तिलिंग है। जिसमें भगवान विष्णु, महेश, और ब्रह्मा तीनों उपस्थित माने जाते हैं।
घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग, महाराष्ट्र
यह महाराष्ट्र में स्थित तीसरा ज्योर्तिलिंग है। इसकी महत्ता के अनुसार यह 12 वां ज्योर्तिलिंग है जो कि औरंगाबाद में स्थित है। घृष्णेश्वर ज्योर्तिलिंग को करुणा के स्वामी (lord of compassion) के रूप में जाना जाता है।
वैद्यनाथ मंदिर, झारखंड
यह ज्योर्तिलिंग देवघर झारखण्ड में स्थित है। इसका नाम वैद्यनाथ इसलिए है क्यों कि यही पर शिव ने रावण को सुरक्षा दी। चूँकि रावण एक शिव भक्त था। रावण की कठिन तपस्या से प्रसन्न होकर उसे यही पर वरदान दिया।
रामेश्वरम ज्योर्तिलिंग
हिन्दू मान्यताओं के अनुसार इस मंदिर का सम्बन्ध प्रभु श्री राम से माना जाता है। कहा जाता है कि भगवान राम ने रावण(जो कि एक ब्राह्मण था) को मारने से पहले शिवलिंग बनाकर पूजा की थी। उन्होंने जिस लिंग की पूजा की थी उसे रामनाथन कहा गया। इन्हे रामनाथ स्वामी भी कहा जाता है। यह मंदिर तमिलनाडु के रामेश्वरम आइलैंड पर स्थित है।
हिन्दू दर्शन के अनुसार ब्रह्माण्ड हर 2 अरब 160 करोड़ साल के बाद फिर से खुद को तैयार करता है। यह एक लगातार चलने वाली प्रक्रिया है। शिव इन दुनिया के नाशक हैं। इसके बाद वह दुनिया को नयी तरह से बनाने के लिए ब्रह्मा को सौंपते हैं। शिव की हजारों परिभाषाएं हैं और अनेक रूप हैं। जिनमें उन्हें भूत प्रेत से भी जोड़ा जाता हैं। शिव योगी और शेयव समाज के प्रमुख भगवान हैं इन्हे वेदों के सुरक्षा करने वाला भी कहा जाता है। चूँकि शिव को निराकार(जिसका कोई आकार न हो) कहा जाता हैं इसलिए इनके लिंग की पूजा की जाती है। लिंग जिसे संस्कृत में सिग ‘शिव का प्रतीक है। शिव कोई शरीर नहीं है बल्कि यह एक शक्ति(ऊर्जा) है।